तेलुगू सिनेमा के सुपरस्टार और पॉलिटिशियन पवन कल्याण की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘हरी हरा वीरा मल्लू’ आखिरकार रिलीज हो चुकी है। एक ओर फैंस सिनेमाघरों में तालियों से स्वागत कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में विवादों की चिंगारी भड़क रही है। फिल्म में भव्यता है, स्टार पावर है, लेकिन सवाल ये है – क्या ये फिल्म उम्मीदों पर खरी उतरी? या सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट बनकर रह गई?
चलो सब कुछ एक-एक करके खोलते हैं।
पवन कल्याण की धमाकेदार एंट्री – लेकिन क्या स्क्रीन पर दम है?
फिल्म की कहानी एक ऐतिहासिक पीरियड ड्रामा पर आधारित है, जिसमें पवन कल्याण ‘वीरा मल्लू’ नाम के डकैत योद्धा की भूमिका निभा रहे हैं। नर्गिस फाखरी और निधि अग्रवाल लव एंगल और ग्लैमर का तड़का देती हैं, वहीं सोनाक्षी सिन्हा एक सशक्त साइड किरदार में हैं।
दर्शकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण पवन कल्याण ही थे – और मानना पड़ेगा, उनका लुक, एक्शन और डायलॉग डिलीवरी वाकई ‘स्टार’ जैसा है। लेकिन फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है कहानी की खिंचाव और स्क्रीनप्ले की असंतुलित रफ्तार। इंटरवल के बाद फिल्म की पकड़ ढीली पड़ जाती है।
बॉक्स ऑफिस पर कैसा है जलवा?
टाइम्स ऑफ इंडिया के लाइव अपडेट्स के मुताबिक, पहले दिन फिल्म को हाउसफुल ओपनिंग मिली, खासकर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में। लेकिन जैसे-जैसे शो आगे बढ़े, पब्लिक रिव्यूज में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आने लगीं।
कई फैंस ने कहा कि ये एक “मसाला ब्लॉकबस्टर” है, वहीं कुछ ने इसे “पॉलिटिकल कमबैक मूवी” कहकर मज़ाक भी उड़ाया। ट्रेड एनालिस्ट का कहना है कि फिल्म का बजट हाई है, और इसे हिट होने के लिए लगातार 5-6 दिन तक शानदार कलेक्शन चाहिए।
पैसा कितना मिला पवन कल्याण को?
अब बात करते हैं उस सवाल की जो सबके मन में है – पवन कल्याण ने इस फिल्म के लिए कितना पैसा लिया?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पवन ने साफ कहा कि पैसे से ज्यादा यह फिल्म उनके दिल के करीब है। हालांकि रिपोर्ट्स में अंदाज़ा लगाया गया कि उन्हें 50 करोड़ से ज्यादा की फीस मिली है।
राजनीतिक हलकों में ये भी तंज कसने लगे कि चुनावों से पहले ये फिल्म एक रणनीति है, जिससे पब्लिक में उनकी छवि और फैनबेस मजबूत हो।
टिकट रेट बढ़ा तो बवाल क्यों?
अब आता है असली ड्रामा – टिकट प्राइस हाइक।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, DYFI (Democratic Youth Federation of India) ने सरकार से मांग की है कि फिल्म के लिए बढ़ाए गए टिकट रेट्स वापस लिए जाएं। उन्होंने इसे आम जनता के साथ अन्याय बताया।
DYFI के नेताओं ने कहा – “एक फिल्म के लिए 300–400 रुपये का टिकट लेना गरीब और मिडिल क्लास पर बोझ है। क्या सिर्फ बड़े स्टार की फिल्म के लिए नियम बदले जाएंगे?”
इस विवाद ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है – क्या पावर स्टार के लिए नियम बदलना ठीक है? या ये एक पब्लिसिटी स्टंट है?
तो क्या फिल्म देखनी चाहिए या नहीं?
अगर आप पवन कल्याण के डाई-हार्ड फैन हैं, तो फिल्म आपके लिए एक विजुअल ट्रीट हो सकती है। लेकिन अगर आप मजबूत स्क्रिप्ट और गहरी कहानी की तलाश में हैं, तो शायद थोड़ा निराश हो सकते हैं।
ये फिल्म पूरी तरह से स्टार पॉवर, ग्रैंड सेट्स और हिस्टॉरिकल एक्शन पर टिकी है – जिसमें राजनीति की हल्की सी परछाई साफ दिखती है।
अंत में सवाल यही है – ये फिल्म सिनेमा है या प्रचार?
‘हरी हरा वीरा मल्लू’ एक ऐसी फिल्म है जो सिर्फ सिनेमाघर की स्क्रीन पर नहीं, बल्कि पॉलिटिकल बैकड्रॉप पर भी खेली जा रही है। पवन कल्याण ने एक्टिंग तो ठीक की है, लेकिन क्या पब्लिक उनके इस रोल को दिल से स्वीकारेगी?
अभी फैसला जनता के हाथ में है।