पंजाबी सिनेमा का चमकता सितारा, हंसी का बेताज बादशाह, जसविंदर भल्ला अब हमारे बीच नहीं रहे! 65 साल की उम्र में, इस कॉमेडी के जादूगर ने ब्रेन स्ट्रोक के सामने घुटने टेक दिए, और पूरी इंडस्ट्री को सदमे में डुबो दिया। पंजाबी फिल्मों का वो चेहरा, जिसके एक डायलॉग पर हॉल ठहाकों से गूंज उठता था, आज खामोश हो गया। लेकिन क्या है इस ट्रैजेडी के पीछे की कहानी? आइए, हम आपको ले चलते हैं इस सनसनीखेज खबर की गहराइयों में!
हंसी का सुल्तान, जिसने हर दिल को जीता
जसविंदर भल्ला – नाम ही काफी था पंजाबी सिनेमा में हंसी की सुनामी लाने के लिए! 1988 में छनकटा 88 से अपने करियर की शुरुआत करने वाले भल्ला ने दुल्ला भट्टी से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। जट्ट एंड जूलियट, कैरी ऑन जट्टा, और माही मेरा निक्का जेहा जैसी फिल्मों में उनके किरदारों ने दर्शकों को हंसाते-हंसाते लोटपोट कर दिया। उनके डायलॉग्स? ओहो, वो तो जन-जन की जुबान पर चढ़ गए! “जीने लाहौर नी वेख्या, ओ जम्म्या नी!” जैसे पंचलाइन्स आज भी पंजाबी सिनेमा के गलियारों में गूंजते हैं। लेकिन अब, वो आवाज़ हमेशा के लिए खामोश हो चुकी है।
ब्रेन स्ट्रोक: मौत का वो काला साया
सूत्रों के मुताबिक, जसविंदर भल्ला को अचानक सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हुई, जिसके बाद उन्हें तुरंत लुधियाना के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक ने उनके शरीर को जकड़ लिया था। क्या ये तनाव था? क्या ये थकान थी? या फिर किस्मत का क्रूर मजाक? कोई नहीं जानता। अस्पताल में उनकी हालत स्थिर करने की कोशिशें नाकाम रहीं, और आखिरकार, हंसी का ये सुल्तान अपनी आखिरी सांस ले गया। फैंस और इंडस्ट्री के लोग अब सवाल उठा रहे हैं – क्या समय पर इलाज मिल पाता, तो हमारा हीरो आज हमारे बीच होता?

गिप्पी ग्रेवाल का दिल टूटा: “वो मेरे पिता तुल्य थे!”
पंजाबी सिनेमा के सुपरस्टार गिप्पी ग्रेवाल ने जसविंदर भल्ला को खोने का गम कुछ यूं बयां किया – “वो मेरे लिए सिर्फ एक को-स्टार नहीं, बल्कि पिता तुल्य थे। उनकी हंसी, उनकी बातें, उनका साथ – सब कुछ अब अधूरा लगता है।” गिप्पी की आंखों में आंसुओं का सैलाब और दिल में दर्द साफ झलक रहा था। कैरी ऑन जट्टा और जट्ट एंड जूलियट 3 में जसविंदर के साथ उनकी जोड़ी ने दर्शकों को हंसी के ठहाके लगाने पर मजबूर किया था, लेकिन अब गिप्पी का कहना है, “उनके बिना सेट पर मजा ही नहीं आएगा।”
नीति बजवा और सोनम बजवा का शोक: “पंजाबी सिनेमा अनाथ हो गया!”
नीति बजवा, जिन्होंने जसविंदर के साथ कई फिल्मों में काम किया, ने रोते हुए कहा, “उनके बिना पंजाबी सिनेमा अधूरा है। वो एक मेंटर, एक दोस्त, और एक जादूगर थे, जो अपनी कॉमेडी से सबको बांध लेते थे।” वहीं, सोनम बजवा ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, “जसविंदर जी, आपकी हंसी हमेशा हमारे दिलों में गूंजेगी। आपकी कमी कभी पूरी नहीं होगी।” फैंस भी सोशल मीडिया पर #JaswinderBhalla को ट्रेंड कर रहे हैं, और उनकी यादों में डूबे हुए हैं।
लुधियाना में पसरा मातम, फैंस का टूटा दिल
लुधियाना, जहां जसविंदर भल्ला का जन्म हुआ और जहां उन्होंने अपने आखिरी दिन बिताए, वहां मातम का आलम है। उनके घर के बाहर फैंस की भीड़ जमा हो रही है, जो उनकी एक झलक पाने को बेताब थी। एक फैन ने रोते हुए कहा, “उनके डायलॉग्स मेरे बचपन का हिस्सा थे। अब कौन हमें हंसाएगा?” एक अन्य फैन ने कहा, “जसविंदर जी ने हमें सिर्फ हंसी नहीं दी, बल्कि पंजाबी संस्कृति को गर्व से जीना सिखाया।”
क्या था जसविंदर भल्ला का जादू?
जसविंदर भल्ला सिर्फ एक एक्टर नहीं थे, वो एक फिनॉमिनन थे! पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से रिटायर्ड प्रोफेसर, जिन्होंने अपनी पढ़ाई और एक्टिंग को बखूबी निभाया। उनकी कॉमेडी सीरीज छनकटा ने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया। उनके बेटे, पुखराज भल्ला, भी उनके नक्शेकदम पर चल रहे हैं, लेकिन क्या वो अपने पिता की विरासत को संभाल पाएंगे? ये सवाल हर फैन के मन में है।
इंडस्ट्री में हड़कंप: अब कौन भरेगा ये खालीपन?
पंजाबी सिनेमा के दिग्गजों का कहना है कि जसविंदर भल्ला की जगह कोई नहीं ले सकता। उनकी आने वाली फिल्म तेरिया मेरिया हेरा फेरियां (21 जून 2025) अब उनकी आखिरी याद बनकर रह जाएगी। इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि उनकी मौत ने कई प्रोजेक्ट्स को अनिश्चितता में डाल दिया है। क्या पंजाबी सिनेमा इस सदमे से उबर पाएगा? या फिर ये एक ऐसा जख्म है, जो कभी नहीं भरेगा?
आखिरी अलविदा: एक युग का अंत
जसविंदर भल्ला की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल होने की उम्मीद है। उनके परिवार ने अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, उनकी पत्नी परमदीप भल्ला और बेटा पुखराज गहरे सदमे में हैं। फैंस और इंडस्ट्री अब उनके सम्मान में श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।
तो क्या ये हंसी का अंत है? नहीं, जसविंदर भल्ला की हंसी उनकी फिल्मों में, उनके डायलॉग्स में, और हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेगी। लेकिन सवाल ये है – क्या पंजाबी सिनेमा फिर कभी ऐसा सितारा पाएगा? या फिर ये सिर्फ एक सपना बनकर रह जाएगा?