बागी 4 रिव्यू: टाइगर श्रॉफ की फिल्म में एक्शन का ओवरडोज, लेकिन कहानी की कमी ने किया निराश

By Shreya Singh

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बागी 4 रिव्यू: टाइगर श्रॉफ और संजय दत्त की एक्शन से भरपूर फिल्म को मिल रही कड़ी आलोचना। जानिए क्यों है यह मूवी दर्शकों के लिए एक बड़ा सिरदर्द।

बॉलीवुड की एक्शन फ्रेंचाइजी बागी सीरीज की चौथी किस्त ‘बागी 4’ हाल ही में रिलीज हुई है, जिसमें टाइगर श्रॉफ और संजय दत्त मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म की रिलीज के साथ ही समीक्षकों और दर्शकों की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, लेकिन ज्यादातर रिव्यू नकारात्मक हैं। निर्देशक ए हरशा द्वारा बनाई गई यह फिल्म लगभग 2.5 घंटे लंबी है और इसमें एक्शन सीक्वेंस की भरमार है। हालांकि, कहानी की कमजोरी और लॉजिक की कमी ने इसे एक ‘हैलुसिनेशन’ जैसा अनुभव बना दिया है। इस लेख में हम तीन प्रमुख समीक्षाओं के आधार पर फिल्म का विश्लेषण करेंगे, जिसमें इंडिया टुडे, टाइम्स ऑफ इंडिया और इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट्स शामिल हैं।

फिल्म की कहानी और प्लॉट

बागी 4 की कहानी रॉनी (टाइगर श्रॉफ) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक पूर्व ‘डिफेंस सी फोर्सेस’ सदस्य है। फिल्म की शुरुआत में रॉनी एक एक्सीडेंट का शिकार होता है और कोमा में चला जाता है। उसके बाद की घटनाएं उसकी कल्पना और वास्तविकता के बीच झूलती रहती हैं। रॉनी की प्रेमिका अलीशा (हरनाज संधु) की मौत हो जाती है, लेकिन क्या वह वाकई मर चुकी है या यह सब रॉनी का भ्रम है? फिल्म में रॉनी का भाई दीपू (श्रेयस तलपड़े) उसे हकीकत बताने की कोशिश करता है, लेकिन प्लॉट इतना उलझा हुआ है कि दर्शक खुद कन्फ्यूज हो जाते हैं।

कहानी में संजय दत्त एक विलेन के रूप में नजर आते हैं, जो खुद को ‘शैतान’ कहते हैं और टाइगर्स के साथ लग्जरी घर में रहते हैं। फिल्म में कार्निवल, पहाड़, बीच और फ्यूनरल जैसी सेटिंग्स हैं, लेकिन ये सब बिना किसी उद्देश्य के लगते हैं। दूसरी ओर, सोनम बाजवा का किरदार ओलिविया उर्फ प्रतिष्ठा एक प्रॉस्टिट्यूट का है, जो रॉनी से प्यार करती है, लेकिन उनका रोल भी प्रॉप जैसा लगता है। प्लॉट में ड्रग्स, डेथ और रिवेंज के तत्व हैं, लेकिन वे बिना लॉजिक के जुड़े हुए हैं।

मुख्य प्लॉट पॉइंट्स

  • रॉनी का कोमा और उसके भ्रम: फिल्म का पहला हिस्सा हेलुसीनेशन जैसा लगता है, जहां अलीशा की मौत और उसकी यादें बार-बार आती हैं।
  • एक्शन सीक्वेंस: रॉनी हर फाइट में खून बहाता है, हड्डियां तोड़ता है और हमेशा जीतता है, लेकिन ये दृश्य बिना वजह के दोहराए जाते हैं।
  • विलेन का रोल: संजय दत्त का किरदार ओवर-द-टॉप है, जिसमें वे पर्पल वेलवेट जैकेट पहनकर हंसते और गुस्सा करते नजर आते हैं।
  • अन्य तत्व: फिल्म में चर्च, ड्रग एडिक्ट और बच्चों को गोद लेने वाली बहन जैसे एलिमेंट्स हैं, लेकिन वे कहानी को मजबूत नहीं बनाते।
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अभिनय और परफॉर्मेंस

टाइगर श्रॉफ का अभिनय एक्शन पर केंद्रित है, लेकिन एक्टिंग में गहराई की कमी है। समीक्षकों ने उन्हें ‘बोर्ड फिजिक्स स्टूडेंट’ जैसा बताया है, जो बार-बार शर्टलेस होकर फाइट करता है। उनकी परफॉर्मेंस को गूगल मैप्स से तुलना की गई है – हमेशा रीरूटिंग करता, लेकिन गंतव्य तक नहीं पहुंचता। संजय दत्त का विलेन रोल मेनासिंग है, लेकिन यह भी कन्फ्यूजिंग लगता है। वे फिल्म में स्नार्ल करते और मेनियाकल लाफ करते हैं, जो दर्शकों को फ्लिंच कराता है।

हरनाज संधु का डेब्यू निराशाजनक है; उनका किरदार सॉफ्ट फोकस में दिखाया गया है और जल्दी मर जाता है। श्रेयस तलपड़े जैसे टैलेंटेड एक्टर का रोल वेस्टेड लगता है, जबकि सोनम बाजवा को सिर्फ हीरो के एंगस्ट के लिए इस्तेमाल किया गया है। कुल मिलाकर, परफॉर्मेंस एक्शन पर निर्भर हैं, लेकिन इमोशनल कनेक्शन की कमी है।

परफॉर्मेंस की हाइलाइट्स और कमियां

  • टाइगर श्रॉफ: ग्रेविटी-डिफाइंग एक्शन अच्छा, लेकिन एक्टिंग कमजोर।
  • संजय दत्त: ओवर-एक्टिंग, लेकिन फिल्म की थीम से मैच करता है।
  • फीमेल लीड्स: हरनाज और सोनम को प्रॉप जैसा ट्रीटमेंट, कोई गहराई नहीं।
  • श्रेयस तलपड़े: ब्रिलियंट पास्ट के बावजूद, यहां बेकार रोल।

आलोचनाएं, रेटिंग और प्रमोशन

फिल्म को ज्यादातर 1 स्टार रेटिंग मिली है। इंडिया टुडे ने इसे ‘2.5 घंटे का कोमा’ कहा, जहां दर्शक सीट पर रहना ही स्टंट है। इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि टाइगर ब्लीड करता है, संजय स्नार्ल करता है और दर्शक फ्लिंच करते हैं। फिल्म की आलोचना बिना उद्देश्य के एक्शन, उलझी कहानी और महिलाओं के किरदारों के खराब ट्रीटमेंट के लिए हुई है। क्लाइमैक्स इतना मेस्सी है कि क्रिएटर्स को PTSD काउंसलिंग की जरूरत बताई गई है।

प्रमोशन के मामले में, फिल्म को ‘बाय वन गेट वन’ टिकट ऑफर दिया गया, जिसकी आलोचना फिल्ममेकर संजय गुप्ता ने की। उन्होंने ट्वीट में कहा, “बिग बजट, बिग प्रोड्यूसर, बिग स्टार, फर्स्ट फ्राइडे, वन प्लस वन फ्री। हम किस समय में जी रहे हैं? फिल्में क्यों बनाएं?” यूजर्स ने प्रोडक्शन कॉस्ट, एक्टर फीस और कॉर्पोरेट बुकिंग्स पर सवाल उठाए। फिल्म को ‘द बंगाल फाइल्स’ और ‘द कंज्यूरिंग: लास्ट राइट्स’ से कॉम्पिटिशन मिला, लेकिन ऑफर की वजह से ओपनिंग डे पर 9-10 करोड़ की कमाई की उम्मीद है।

निष्कर्ष: क्या देखनी चाहिए बागी 4?

बागी 4 एक एक्शन-पैक्ड फिल्म है, लेकिन इसकी कहानी और लॉजिक की कमी ने इसे निराशाजनक बना दिया है। अगर आप सिर्फ टाइगर श्रॉफ के स्टंट्स देखना चाहते हैं, तो यह ठीक है, लेकिन इमोशनल डेप्थ या कोहिरेंट प्लॉट की उम्मीद न करें। बॉलीवुड में ऐसी फिल्में बनती रहती हैं, लेकिन प्रमोशनल ऑफर्स और नकारात्मक रिव्यू से सवाल उठते हैं कि क्या क्वालिटी पर फोकस करने की बजाय सिर्फ कमर्शियल सक्सेस पर जोर दिया जा रहा है। कुल मिलाकर, यह फिल्म उन दर्शकों के लिए ‘कर्मिक पनिशमेंट’ जैसी है जो कुछ गलत किया हो।

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