सत्यादेव और आनंदी की वेब सीरीज ने मचाया धमाल, या फिर फिस्स हो गया ड्रामा?
अमेज़न प्राइम वीडियो पर 8 अगस्त 2025 को रिलीज़ हुई तेलुगु वेब सीरीज अरेबिया कडली ने दर्शकों के दिलों में तूफान लाने की कोशिश की, लेकिन क्या यह समुद्री लहरों की तरह उमड़-घुमड़ कर धमाल मचा पाई, या फिर किनारे पर आकर बिखर गई? इस सनसनीखेज़ कहानी में सत्यादेव और आनंदी की जोड़ी ने कोशिश तो खूब की, लेकिन क्या वे दर्शकों को अपनी नाव में सवार कर पाए? चलिए, इस ड्रामे की गहराई में गोता लगाते हैं और देखते हैं कि क्या है इस सीरीज का असली मसाला!
मछुआरों की जंग और प्यार का तड़का
श्रीकाकुलम के तटों से शुरू होती है यह कहानी, जहां नुरागाला बदीरी (सत्यादेव) एक पढ़ा-लिखा, समझदार मछुआरा है, जिसका दिल पड़ोस के मात्स्यवाड़ा गांव की गंगा (आनंदी) के लिए धड़कता है। लेकिन, ओहो! इन दोनों गांवों में तो पुरानी दुश्मनी है, जो इस प्रेम कहानी में मिर्च-मसाला डाल देती है। जेट्टी की कमी के चलते ये मछुआरे गुजरात की ओर मछली पकड़ने निकलते हैं, लेकिन एक दिन, अरब सागर में तूफान उन्हें पाकिस्तानी जलक्षेत्र में बहा ले जाता है। और फिर शुरू होता है असली तमाशा! क्या ये मछुआरे जेल की सलाखों से निकल पाएंगे? क्या गंगा का प्यार बदीरी को वापस ला पाएगा? यह तो सीरीज देखकर ही पता चलेगा, लेकिन हम आपको बता दें, यह कहानी इतनी आसान नहीं है!
सत्यादेव का जलवा, लेकिन कहानी में दम?
सत्यादेव ने बदीरी के किरदार में जान डाल दी है। उनकी गंभीरता और भावनात्मक गहराई दर्शकों को बांधे रखती है, लेकिन क्या यह काफी है? आनंदी ने गंगा के रूप में एक मजबूत और भावुक औरत का किरदार निभाया, जो अपने प्यार और मछुआरों की रिहाई के लिए जंग लड़ती है। लेकिन, अफसोस! कुछ समीक्षकों का कहना है कि उनकी कहानी में वो दम नहीं, जो दिल को छू ले। सहायक कलाकारों में नासर, रघु बाबू, और पूनम बाजवा ने भी ठीक-ठाक काम किया, लेकिन बड़े नामों को ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं मिला। और हां, जेलर सलीम (अमित तिवारी) और गंगा के भाई (हर्ष रोशन) के किरदार तो चमके, लेकिन फिर भी कुछ अधूरा-सा लगता है।
क्रिश जगरलामुड़ी का जादू या जादू फेल?
प्रसिद्ध निर्देशक क्रिश जगरलामुड़ी ने इस सीरीज को बनाया है, और उनकी छाप कई दृश्यों में दिखती है। समुद्र की खूबसूरती को कैमरे में कैद करने वाले सिनेमैटोग्राफर समीर रेड्डी ने तो कमाल कर दिया, लेकिन कुछ VFX दृश्य, खासकर तूफान वाला सीन, ऐसा लगता है जैसे किसी ने जल्दबाजी में बनाया हो। संगीतकार नागवेली विद्यासागर का बैकग्राउंड स्कोर कहानी को थोड़ा और रंग देता है, लेकिन कुछ जगहों पर गति धीमी हो जाती है, और एडिटिंग भी थोड़ी लचर लगती है। क्रिश की स्क्रिप्ट में इमोशन्स और देशभक्ति का तड़का तो है, लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि यह सब पहले भी देखा हुआ लगता है।
तंडेल की छाया में फंसी अरेबिया कडली?
अब असली ट्विस्ट! यह सीरीज 2018 की एक सच्ची घटना पर आधारित है, जब श्रीकाकुलम के मछुआरे गलती से पाकिस्तानी जलक्षेत्र में चले गए और दो साल तक जेल में रहे। लेकिन, ओहो! यही कहानी तो इस साल की सुपरहिट फिल्म तंडेल में भी थी, जिसमें नागा चैतन्य ने धमाल मचाया था। तो अब दर्शकों के मन में सवाल—जब तंडेल पहले ही दिल जीत चुकी, तो अरेबिया कडली में नया क्या है? कुछ समीक्षकों का कहना है कि यह सीरीज ज्यादा रियलिस्टिक है, लेकिन तंडेल की चमक के सामने यह थोड़ी फीकी पड़ गई। क्या यह सीरीज अपनी अलग पहचान बना पाएगी, या फिर तंडेल की सुनामी में बह जाएगी?
तो क्या देखें या स्किप करें?
अरेबिया कडली एक ऐसी सीरीज है, जो दिल को छूने की पूरी कोशिश करती है, लेकिन कहीं-कहीं ठोकर खा जाती है। अगर आपने तंडेल नहीं देखी, तो यह सीरीज आपको एक इमोशनल रोलरकोस्टर पर ले जा सकती है। लेकिन अगर आप तंडेल के दीवाने हैं, तो शायद आपको यह थोड़ा पुराना लगे। सत्यादेव और आनंदी की एक्टिंग, खूबसूरत सिनेमैटोग्राफी, और मछुआरों की जिंदगी की सच्चाई इस सीरीज के प्लस पॉइंट्स हैं। लेकिन धीमी गति, कुछ कमज़ोर VFX, और पहले देखी हुई कहानी का अहसास इसे थोड़ा पीछे धकेल देता है।
हमारा फाइनल फैसला? अगर आप सत्यादेव के फैन हैं या सच्ची घटनाओं पर आधारित ड्रामे पसंद करते हैं, तो इस सीरीज को एक मौका दे सकते हैं। लेकिन अगर आप कुछ नया और धमाकेदार चाहते हैं, तो शायद यह नाव आपको बीच समुद्र में छोड़ दे! अमेज़न प्राइम वीडियो पर स्ट्रीमिंग शुरू, तो अपनी नाव तैयार रखें और इस समुद्री सफर पर निकल पड़ें!
क्या कहता है आपका दिल? कमेंट में बताएं!